यूंग इंडिया के दिल पर हीरा और सोना नहीं, ये रत्न कर रहे राज

नई दिल्ली। ऐसी बातें की जाती रही हैं डायमंड की जिस तरह माइनिंग की जाती है, कि हीरा है सदा के लिए और गोल्ड की वह नापसंदगी की एक मुख्य वजह रही। चमक कभी कम नहीं होती, लेकिन कई उन्होंने बताया कि उन्होंने और उनके मंगेतर अमीर युवा भारतीयों के लिए रूबी, नीलम, ने नीलम की रिंग पसंद की। पन्ना जैसे रत्नों का आकर्षण बढ़ रहा है। इन गोल्ड-सिल्वर का विकल्प खंगाल बेशकीमती रत्नों से बनी जूलरी की मांग रहे ग्राहक -टिफैनी और कार्टियर जैसे भारत में बढ़ रही है। ग्लोबल ब्रैंड्स के पास रूबी, नीलम और __बढ़ा रत्नों का आयात -जेम ऐंड पन्ने से तैयार बेशकीमती गहने हैं। भारतीय जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के डेटा जूलर्स ने कहा कि भारतीय परंपरा में शामिल के अनुसार, रफ जेमस्टोंस का आयात रहे कुछ रत्नों की लोकप्रियता भी बढ़ रही है। 2017-18 में 90.6 करोड़ डॉलर पर पहुंच जयपुर की बिरधीचंद घनश्यामदास के गया, जो 2009 में 10.6 करोड़ डॉलर का क्रिएटिव डायरेक्टर यश अग्रवाल ने कहा था। अप्रैल-अगस्त 2019 में कलर्ड कि कई कस्टमर गोल्डन या सिल्वर जूलरी जेमस्टोन का इंपोर्ट 150 प्रतिशत बढ़ा। वहीं का विकल्प खंगाल रहे हैं। वैल्यू के लिहाज से रफ डायमंड का आयात टाटा के दो जूलरी ब्रैंड्स में रत्नों का तो कहीं ज्यादा रहा, लेकिन इसी अवधि में 10-15% हिस्सा -हैदराबाद के जूलरी खास इसके आयात में 22.9 प्रतिशत की बैंड किशनदास ऐंड कंपनी की सीईओ गिरावट दर्ज की गई। प्रतीक्षा प्रशांत ने कहा कि नीलम और पन्ने रत्नों का आयात कहां से? की भारतीय गहनों के इतिहास में बड़ी जगह भारत में इन रत्नों का आयात आमतौर रही है। खासतौर से दक्षिण भारत में। टाटा पर श्रीलंका, म्यांमार, अमेरिका और ग्रुप के दो जूलरी बैंड्स तनिष्क और जोया ऑस्ट्रेलिया से किया जाता है। इनकी पॉलिश के प्रतिनिधियों ने कहा कि उनकी बिक्री में कर इनसे जूलरी बनाई जाती है। युवा कई कीमती रत्नों का हिस्सा 10-15 प्रतिशत तक वजहों से इन्हें पसंद कर रहे हैं। बेंगलुरु की है। कंपनी के डेटा के अनुसार, शहरी 31 साल की अंकिता शर्मा डायमंड की खरीदार ऐसी जूलरी के साथ ज्यादा प्रयोग वेडिंग रिंग नहीं चाहती थीं। उन्होंने कहा कि कर रहे हैं।