यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ जयपुर शहर

गुलाबी शहर के नाम से मशहूर जयपुर की चारदीवारी (परकोटा) को यूनेस्को ने विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। अजरबैजान की राजधानी बाकू में हुई विश्व धरोहर समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया। पिछले साल ही सरकार ने इसके लिए यूएन को प्रस्ताव भेजा था, जिसके बाद राजस्थान के इस शहर को फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। आइये जानते हैं इसके बारे में...


नामांकन किए जाने के बाद यूनेस्को की अंतरराष्ट्रीय परिषद की टीम 2018 में निरीक्षण करने जयपुर आई थी। दिल्ली स्थित यूनेस्को कार्यालय की ओर से कहा गया है कि जयपुर की शहरी योजना प्राचीन हिन्दू, मुगल और समकालीन पश्चिमी महत्ता को प्रदर्शित करती है। ऐतिहासिक       जयपुर शहर की स्थापना 1727 में राजा जयसिंह ने की  थी। यह अपनी स्थापत्य कला के कारण पर्यटकों में आकर्षण का केंद्र है।


पूर्व महाराज जयसिंह ने शुरू कराया था निर्माण
जयपुर शहर एक सुनियोजित विकास की मिसाल है, जो परकोटे की चारदीवारी से घिरी हुई है और इसमें 7 दरवाजे हैं। जयपुर बसने से पहले कछवाहों की राजधानी आमेर हुआ करती थी। मगर साल 1727 में पूर्व महाराज जयसिंह ने जयपुर का निर्माण शुरू करवाया। यह शहर अलग-अलग काल खंडों में बनकर तैयार हुआ।


अब तक दुनिया के 1092 स्थल धरोहर सूची में शामिल
यूनेस्को की संस्था इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स की सिफारिश पर किसी शहर या क्षेत्र को अनूठी विरासत के कारण विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाता है। अब तक विश्व धरोहर सूची में 167 देशों के 1092 स्थानों को शामिल किया जा चुका है।


क्यों कहा जाता है पिंक सिटी
साल 1896 में जब प्रिंस ऑफ वेल्स जयपुर आ रहे थे तो उनके स्वागत में जयपुर के पूर्व महाराज ने पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगवा दिया था, तब से इस शहर की पहचान गुलाबी नगरी के रूप में होती है। यहां के प्रमुख स्मारकों में आमेर, नाहरगढ़, जयगढ़ जल महल, हवा महल, जंतर मंतर सिटी पैलेस और एल्बर्ट हॉल
शामिल हैं।


दो बार यहां के अन्य स्थल भी किए जा चुके हैं चयनित 
साल 2010 में जयपुर के जंतर-मंतर के बाद 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में राजस्थान के छह पहाड़ी किलों को शामिल किया गया था। इन किलों में आमेर, जैसलमेर, गागरोन, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ और रणथंभौर के किले थे। इनका चयन कंबोडिया के नोमपेन्ह शहर में यूनेस्को की विश्व विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 37वीं बैठक में लिया गया था। इसके बाद से ही सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे कि प्रदेश के अन्य महत्वपूर्ण किलों एवं स्मारकों को भी इस सूची में शामिल किया जाए।


तीन श्रेणियों में बांटा गया है 
विश्व धरोहर तीन श्रेणियों में है। सांस्कृतिक विरासत, प्राकृतिक विरासत, और मिश्रित विरासत। सांस्कृतिक विरासत इतिहास, कला या विज्ञान के दृष्टिकोण से एक उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (यूनिवर्सल वैल्यू) को जोड़ती है, इसमें स्मारक, इमारतों के समूह, और साइटें शामिल हैं जो प्रकृति और मानव द्वारा निर्मित कार्य हैं। उदाहरण के तौर पर जैसे ताजमहल, स्टैचू ऑफ लिबर्टी और सिडनी ओपेरा हाउस। 


गुलाबी शहर जयपुर को लेकर ये है यूनेस्को के विचार 
यूनेस्को के मुताबिक, जयपुर के नगर नियोजन में प्राचीन हिंदू, मुगल और समकालीन पश्चिमी विचारों का आदान-प्रदान दिखता है। उसी ने शहर को एक अलग आकार दिया है। शहर में विभिन्न स्थापत्य शैली हैं, संस्कृतियों के समामेलन के उदाहरण हैं। जयपुर दक्षिण एशिया में मध्ययुगीन व्यापार का एक असाधारण उदाहरण था। इसके अलावा शहर शिल्प के रूप में जीवित परंपराओं से जुड़ा हुआ है, जिनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता है।